क्रिकेट
की बात करें तो फिछले कुछ सालों से ऐसा कम ही देखने और सुनने को मिलता है कि टीम
इंडिया अपने ही घरेलु मैदान पर मैच हार जाये। निश्चित तौर पर हार परेशान करती है
लेकिन ये हार तब और भी ज्यादा चुभती है, जब हार शर्मनाक रही हो। साथ ही जले पर नमक छिड़कने
का काम तब हो जाता है, जब एक मैच की हार से सीरीज भी हाथ से निकल जाये।
जी हां,
सुनने में अटपटा लग रहा है लेकिन ये सच है। ऐसा हो चुका है। जख्मों पर नमक छिड़कने
का काम एक बार साउथ अफ्रीका कर चुका है।
बात
ज्यादा पुरानी नही है। 2015-16 की है, पिछली भारत-साउथ अफ्रीका सीरीज की है, जब
साउथ अफ्रीका की टीम भारत के दौरे पर आयी थी।
भारत ने
अपने घरेलु मैदानों का फायदा उठाते हुये, स्पिनरों की मदद से टेस्ट सीरीज तो 3-0
से जीत ली, लेकिन वनडे सीरीज में भारत की हालत बिगड़ गयी। वनडे
सीरीज के 4 मैच हो चुके थे। दोनों टीम 2-2 मैच जीतकर सीरीज में बराबरी पर थीं। ऐसे
में निगाहें सीरीज के अंतिम मैच पर थीं क्योंकि सीरीज का फैसला इसी मैच से होना
था।
मैच
मंबर्इ के मैदान पर था। साउथ अफ्रीका ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी का फैसला किया
और पहले पावरप्ले के 10 ओवरो में हाशिम अमला का विकेट खोकर 73 रन बनाये। अमला ने
23 रन बनाये और पहले विकेट के लिये डिकॉक के साथ मिलकर 33 रन जोडे। उके बाद
बल्लेबाजी को आये डुप्लेसिस और डिकॉक ने दूसरे विकेट के लिये सटासट 154 रन जोड
डाले और टीम का स्कोर 27 ओवरो में 200 के पास पंहुचा दिया। डिकॉक नें 87 गेंदो में
17 चौकों औक 1 छक्के की मदद से 109 रन बनाये।
डिकॉक तो आउट होकर चल गये लेकिन भारत
की मुश्किलें फिर भी कम नही हुर्इं। एक छोर से डूप्लेसिस भारत के गेंदबाजों की खबर ले रहे थे तो दूसरी
तरफ से डिविलियर्स ने भी आते ही भारत की धुनायी शुरू कर दी। तीसरे विकेट के लिये डिविलियर्स,
डूप्लेसिस और मिलर नें 211 रन जोड डाले। डूप्लेसिस 115 गेंदों मे 133 रन बनाकर रिटायर्ड
हर्ट हो गये। उन्होने 6 छक्के और 9 चौके जड़े। यंहा पर डूप्लेसिस नें डिविलियर्स
का साथ छोड दिया था लेकिन डिविलियर्स ने डेविड मिलर के साथ मिलकर टीम का स्कोर 400
के पास पंहुचा दिया। बल्लेबाजी के दौरान डिविलियर्स के आगे भारतीय गेंदबाज पानी
मांगते नजर आये। डिविलियर्स नें गेंदबाजों की जमकर धुनयी की। उन्होने महज 61
गेंदों में 195 के स्ट्राइक रेट से 119 रन कूट डाले। उनकी पारी में 11 छक्के और 3
चौके शामिल थे। उन्हे भुवनेश्वर कुमार ने आउट किया, लेकिन मैच में भुवनेश्वर का
हाल भी बेहाल था। भुवनेश्वर ने 10 ओवरो में 106 रन लुटाये। डिविलियर्स तो आउट हो
गये लेकिन मिलर ने अंत तक नाबद रहते हुये टीम का स्कोर 50 ओवरों में 438 कर दिया
था। अफ्रीका का वनडे में यह तीसरा बेस्ट स्कोर था। मिलर ने 12 गेंदों मे 22 रन
बनाये।
अब भारत
को मैच और सीरीज जीतने के लिये 439 रनों के लक्ष्य को भेदना था। मैच जीतने के लिये
भारत को तगड़ा खेल दिखाना था, लेकिन रोहित शर्मा 16 के निजी स्कोर पर आउट हो लिये।
भारत की शुरूआत खराब हो चुकी थी। भारत की उम्मीदों को दूसरा झटका तब लगा जब विराट
कोहली भी 7 रन बनाकर चलते बने। टीम का स्कोर 48 रन ही हुआ था और उसके 2 विकेट साफ
हो चुके थे। एक छोर पर घवन डटे हुये थे और बहादुरी के साथ अफ्रीका का सामना कर रहे
थे। धवन ने रहाणें के साथ मिलकर तीसरे विकेट के लिये 112 रन जोड लिये थे। लग रहा
था टीम पलटबार करेगी, लेकिन धवन 60 रन बनाकर आउट हो गये। यंहा से टीम की हिम्मत
जबाब दे गयी। यंहा से ना कोर्इ साझेदारी हुर्इ और ना किसी खिलाड़ी ने रन बनाये।
टीम के कप्तान धोनी 27 रन पर और रैना 12 रन पर सिमट लिये। एक सिरे पर रहाणें अकेले
ही हिम्मत दिखाते रहे और टीम के बाकि खिलाडी बिखरते चले गये। रहाणें ने 58 गेंदों
में 87 रन बनाये। अंत में भारत की टीम सिर्फ 36 ओवरों में 224 रन बनाकर आलआउट हो
गयी।
साउथ अफ्रीका
ने मैच 214 रनों से जीता और सीरीज 3-2 से अपने नाम कर ली।
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