सीरीज जीतने का सपना तो हो चुका है राख, अब देखना है क्या बच पाय़ेगी साख? भारत
और दक्षिण अफ्रीका के बीच तीन टेस्ट मैचों की सीरीज का तीसरा और अंतिम मैच कल से
जोहानिसबर्ग के वांडरर्स मैदान में खेला जायेगा। घर की शेर कही जाने बाली भारतीय टीम
विदेशी घरती पर 0-2 पिछड़ चुकी है। सूत्रों की मानें तो वांडरर्स की पिच भी
अफ्रीका के ही मुफीद है, लिहाजा टीम इंडिया पर 0-3 की हार का खतरा मंडराने लगा है।
अब दुनिया की नंबर एक टेस्ट टीम पर ही टेस्ट सीरीज में क्लीन स्वीप का संकट आ जाये
तो सवालों की संख्या बढ़ जाती है। अब इन सवालों के जबाब कौन देगा, ये भी बड़ा सवाल
है। लिहाजा इन सवालों के जबाब खुद ही खंगाले तो, कुछ कारण जबाब के रूप में सामने
आये है।
अफ्रीकी
दौरे पर फेल होने की ये वजह हो सकती है-
इस
बार टीम के साथ कुछ अतिरिक्त बल्लेबाज और गेंदबाज भी टीम के साथ भेजे गये हैं। जो
टीम की हार का बड़ा कारण हो सकते है। ऐसा इसलिये क्योंकि आमतौर पर टीम 14 या 15
सदस्यी ही भेजी जाती है। इस बार 17 खिलाड़ी भेजे गये। ज्यादा खिलाड़ी ही विराट का
सिरदर्द बने। नतीजे आपके सामनें है शायद विराट ये ही नही समझ पाये कि किसको खिलाना
है, किसको नही। सबसे ज्यादा परेशानी ओपनिंग जोड़ी और पांचवे, छटवें बल्लेबाज को
चुनने मे हुर्इ। ओपनिंग में धवन और मुरली की जोड़ी सुनिश्चित थी लेकिन लोकेश राहुल
बाहर बैठे थे। उनकी फार्म भी बढिया थी। लिहाजा वो भी विराट के दिमाग में घूम रहा
थे कि उन्हे भी खिलाना है। पार्थिव पटेल ओपनर और विकेटकीपर के रूप में एक और विकल्प
मौजूद थे। उघर रोहित शर्मा श्रीलंका के खिलाफ़ घरेलु सीरीज में शानदार खेल के दम
पर टीम में जगह बनाने की दावेदारी पेश कर चुके थे। अब उनको खिलाना भी जरूरी हो गया
था। इस स्थिति में विराट के लिये अंतिम 11 का चुनाव करना बेहद कठिन हो गया।हम
जानते हैं कि विदेशी धरती पर सफ़ल होने के लिये अच्छी टीम युनिट होना बहुत जरूरी
हे। किसी एक खिलाड़ी के बलबूते ही जीत नही मिल सकती। सभी 11 खिलाड़ियों का योगदान
बेहद जरूरी है। इसलिये बेहतर टीम चुनना बहुत जरूरी था, लेकिन 11 के चयन को लेकर
विराट दुविघा में फंस गये। जो इस हार का मुख्य कारण के रूप में सामने आयी क्योकि अजिंक्या
रहाणें की जगह टीम में बनती थी, लेकिन रोहित शर्मा की वजह से दोनों मैचों में उनको
जगह नही मिली।
यो
हो सकती है दूसरी वजह-
आमतौर पर देखा ये
जाता है कि जब कोर्इ टीम विदेशी दौरे पर जाती है तब मैच खेलने से पहले अभ्यास मैच
जरूर खेलती है। कंडीशनिग कैंप भी लगाया जाता है ताकि मेजबान देश की कंडीशंस और खेल
के तौर तरीको को समझा जा सके। अब इसको टीम मैनेजमैंट की लापरवाही कहा जाये या
ओवरकांफीडेंस कि उन्होने टीम को सीघे मैच में उतार दिया। पहले से जो अभ्यास मैच तय
थे उनको रद्द कर दिया गया क्योंकि टीम घरेलु मैदानों पर श्रीलंका के साथ खेल रही
थी। एक और चीज जो बेहद अहम है। अब टीम के खिलाड़ी किसी एकस्पर्ट की राय नही लेते,
और नाहि किसी लोकल खिलाड़ी को अपने साथ जोड़ती है जबकि अन्य टीमें ऐसा करतीं हैं।
जानकारों के मुताबिक मुख्य विदेशी दौरों से पहले कैंप लगाना और वंहा के खिलाड़ियो
की मदद लेना जरूरी हो जाता है। वैसे एक सच ये भी है कि किसी भी मेजबान टीम को
हराना आसान नही होता है। जो स्थिति भारत के साथ है यही स्थिति अन्य सभी टीमों के
साथ भी है। मगर इस दौरे पर हम जीत के बेहद करीब थे, अगर इन बातों का ध्यान रखा
जाता तो इस बार इतिहास रचा जा सकता था। अब इसमें कोर्इ शक नही कि टेस्ट के तौर पर
भारत के पास पुजारा, मुरली विजय, लोकेश राहुल, रहाणें और कोहली जैसे बल्लेबाज हैं,
लेकिन यह कहना गलत नही होगा कि ये बल्लेबाज विदेशी तेज पिचों पर खेलने में सक्षम नही
हैं। इसके लिये भारत को अपने देश में ही तेज पिचें बनाने की जरूरत है ताकि दौरों
पर जाने से पहले वंहा अभ्यास किया जा सके। इसके अलावा भारत में आर्इपाएल होता है
इसी ते तर्ज पर दुनिया भर मे प्रतियेगिताएं होती हैं, विदेशी खिलाड़ियों को
आर्इपाएल में खेलने की अनुमति होती है लेकिन बीसीसीआर्इ के द्रारा भारत के
खिलाड़ियो की विदेशी लीग में खेलने की अनुमति नही है। क्रिकेट पंड़तों की मानें तो
बीसीसीआर्इ को नर्इ नीती बनाने की जरूरत है जिसमें भारत के खिलाड़ियो की भी विदेशी
लीग में खेलने की अनुमति हो। इससे खिलाड़ियो को विदेशी पिचों का अनुभव हो सके।
कहना गलत नही होगा
कि इतिहास रचने के लिये तैयरी पूरी नही रही। अफ्रीका में सीरीज जीतने का सपना तो हो चुका है राख, अब देखना है क्या बच पाय़ेगी साख?
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