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Saturday, January 20, 2018

घर के शेर, कब बनेगें? सवा शेर…



इक सवाल है, क्यों इतना बवाल है? भारतीय क्रिकेट टीम के लिये बड़ा सवाल है कि घर में बेहतरीन प्रदर्शन करने के बाद विदेशी धरती पर जाकर इनको क्या हो जाता है? आखिर घर के शेर, बाहर क्यों हो रहे हैं ढेर? बड़ा सवाल है, लेकिन इस सवाल के लिये क्यों इतना बवाल है? आखिर उम्मीद ही तो थी...जो टूट गयी।

उम्मीद तो बहुत ज्यादा थी इस भारतीय क्रिकेट टीम से कि इस बार विराट कोहली की कप्तानी में ये टीम वो कारनामा कर के जरूर दिखाएगी जो सौरव गांगुली और महेंद्र सिंह धोनी जैसे बड़े कप्तानों की टीम नही कर पाई थी। अब ये कहना बिल्कुल भी गलत नहीं होगा कि शुरूआती दो टेस्ट मैचों के बाद टाय टाय फिस्स...टीम इंडिया पहला टेस्ट 72 रनों से और दूसरा टेस्ट 135 रनों से हारकर सीरीज भी हार चुकी है। भारत इस सीरीज से पहले साउथ अफ्रीका में 6 टेस्ट सीरीज खेल चुका हैं। धोनी की कप्तानी में एक सीरीज ड्रा तो हो चुकी है लेकिन भारत जीत एक भी नही सका है। सातवीं सीरीज भी भारत हार गया, मगर इस हार पर इतना बवाल क्यों? शायद उम्मीद ज्यादा थी, लेकिन उम्मीद ही तो थी...कि जीत लेंगे, नही जीत सके।

टीम इंडिया के मुख्य कोच रवि शास्त्री और कप्तान विराट कोहली ने अफ्रीका जाने से पहले कहा था कि अबकी बार वे अफ्रीका में टेस्ट सीरीज जीतकर आएंगे, और इतिहास रचकर दिखाएंगे। जाहिर है इन बब्बर शेरों ने पहले और दूसरे टेस्ट में जिस प्रकार मुंह की खाई है। इससे उन्हें ये सीख तो मिल ही गयी होगी कि बड़ी बड़ी बातें करने से और ज्यादा आत्मविश्वास रखने भर से ही जीत नही मिलती। मैदान पर मेहनत करनी पड़ती है। सामने वाली टीम का शिकार इतनी आसानी से भी नही हो जाता। लेकिन जो लोग इस टीम की अलोचना कर रहें है, वे ये क्यों नहीं समझते कि हर इंसान अपने घर मे शेर होता है। जब साउथ अफ्रीका की टीम भारत मे खेलने आती है तो उनका हाल भी यही होता है जो इस वक्त टीम इंडिया का है। अब साउथ अफ्रीका की टीम अपने घर मे खेल रही है। इस समय तो वो शेर हैं और जीत की प्रबल दावेदार भी। अब इन शेरों का शिकार करने के लिए सवा शेर तो बनना ही पड़ेगा, लेकिन सबाल ये है कि विदेश में जाकर सवाशेर बना कैसे जाए?

सवाल तो ढेरों हैं, जो इस समय विराट कोहली और रवि शास्त्री के सामने खड़े हैं, लेकिन फिलहाल सबसे बड़ा सवाल तो उन आलोचकों से है जो टीम को कोस रहे हैं। वे लोग पहले ये ही बता दें कि इस मौजूदा भारतीय टीम के पास ऐसा क्या मजबूत पक्ष था, जो सब ये सोचते रहे कि इस बार इतिहास रचा जाएगा?  शायद ही इसका जबाब किसी के पास हो, लेकिन इस बड़े सवाल का एक ही जबाब है, और वो है 'उम्मीद'। जी हाँ! हम लोग सिर्फ उम्मीद ही कर रहे थे कि ये टीम अफ्रीकी धरती पर टेस्ट सीरीज जीत जाएगी। हमारे पास कोई मजबूत पक्ष नही था, और ना कोर्इ गारंटी थी कि टीम सौ प्रतिशत टेस्ट सीरीज में विजयी होगी।


उम्मीद थी, जो टूट गयी। अब सपनें, उम्मीद और भरोसे तो टूटते ही हैं, इतना बवाल क्यों?
बताय़ेंगे हम, क्यों थी सिर्फ उम्मीद? क्यों नही थी गारंटी? और क्यों टूटी ये उम्मीद?

To be continued … next blog will be publish soon... stay with us

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