स्पोर्ट्स डेस्क: 4 गेंदे, पाकिस्तान को जीतने के लिए सिर्फ 6 रन की जरूरत, गेंद थी जोगिंदर शर्मा के हाथों में और सामने थे 43 रन बना चुके मिसबाह उल हक। यह दृश्य किस क्रिकेट प्रेमी को याद नही होगा। आज के ऐतिहासिक दिन को शायद ही कोई क्रिकेट प्रशंसक भूल सकता है। जी हां भारत और पाकिस्तान के बीच पहले टी20 वर्ल्ड कप का फाइनल मैच आज से ठीक 10 साल पहले 24 सितंबर 2007 को साउथ अफ्रीका के जोहानिसबर्ग में खेला गया था। इस मैच में पाकिस्तानी टीम को जीतने के लिए सिर्फ 6 रन की जरूरत थी जबकि भारत को सिर्फ एक विकेट की ही तलाश थी ऐसे में मिस्बाह उल हक द्वारा खेला गया एक शॉट फाइन लेग पर खड़े श्री संत के सीधा हाथों में चला गया और भारत बन गया था टी20 क्रिकेट का चैंपियन।
जब 2007 में पहली बार किसी टी20 वर्ल्ड कप का आयोजन हो रहा था तब किसी ने यह नही सोचा था कि भारत सेमीफाइनल में भी जगह बना पायेगा। भारत उस वर्ल्ड कप में बेहद कमजोर टीम माना जा रहा था इसका कारण था 6 महीने पहले वेस्टइंडीज में हुए 50 ओवर के वर्ल्ड कप मे भारतीय टीम का प्रदर्शन। इस वर्ल्ड कप के दौरान टीम इंडिया राहुल द्रविड़ की कप्तानी और सचिन, सहवाग, गांगुली और युवराज जैसे दिग्गजों की मौजूदगी में बांग्लादेश जैसी कमजोर टीम से हारकर वर्ल्ड कप से बाहर हो गया था। इसके बाद राहुल द्रविड़ ने अपनी कप्तानी से इस्तीफा दे दिया और फिर 6 महीनों बाद जब पहले टी20 वर्ल्ड कप के लिए टीम चुनी जा रही थी तब सेलेक्टरों के लिए सबसे बड़ा सबाल था कि टीम का कप्तान किसे बनाया जाए। लेकिन सचिन तेंदुलकर के सुझाव के बाद एक युवा खिलाड़ी महेंद्र सिंह धोनी को वर्ल्ड कप की टी20 टीम का कप्तान बना दिया गया। लेकिन किसी को क्या पता था कि सचिन ने धोनी को कप्तान नही बनाया बल्कि उनके द्वारा भारतीय क्रिकेट में एक नए युग की शुरुआत हो चुकी है।
पहले टी20 वर्ल्ड कप में भारत को अपना पहला मैच ने कमजोर विपक्षी स्कॉटलैंड के खिलाफ खेलना था लेकिन यह मैच खेला नही जा सका जिसके बाद भारत को पाकिस्तान के खिलाफ अपने दूसरे मैच में जीतना बेहद जरूरी हो गया। उस मैच की हार भारत को वर्ल्ड कप से बाहर कर सकती थी। पर इस मैच में भारत ने रॉबिन उथप्पा (50) के अर्धशतक की बदौलत पाकिस्तान को 142 रनों का लक्ष्य दिया। जबाब में पाकिस्तान की टीम भी मिसबाह उल हक के शानदार 53 रनों की बदौलत 141 रन ही बना पायी जिससे मैच टाई हो गया। जिसके बाद पहली बार मैच का फैसला बॉल आउट से हुआ। भारत के लिए रॉबिन उथप्पा, हरभजन सिंह और सहवाग विकेट पर थ्रो करने में कामयाब रहे जबकि पाकिस्तान की तरफ से कोई भी खिलाड़ी विकेट पर गेंद नही मार सका, इस तरह भारत ने ये मैच 3-0 (बॉल आउट) से जीत लिया। तीसरे मैच में भारत का सामना हुआ न्यूज़ीलैंड की टीम से, न्यूज़ीलैंड ने पहले बल्लेबाजी करते हुए भारत के सामने जीत के लिए 191 रनों का पहाड़ जैसा लक्ष्य रखा। टीम इंडिया जब लक्ष्य का पीछा करने उतरी तो गौतम गंभीर (51) और सहवाग (40) ने टीम को अच्छी शुरुआत दी, लगा की भारतीय टीम आसानी से जीत जाएगी लेकिन इन दोनों के आउट होने के बाद कोई भी खिलाड़ी भारत को लक्ष्य तक नही पहुंचा सका। नतीजतन भारत मैच 10 रन से हार गया। इस हार के बाद लगा कि टीम इंडिया सेमीफाइनल में नही पहुंच पाएगी लेकिन धोनी की युवा टीम ने अपने अगले मैच में धमाकेदार प्रदर्शन से बता दिया कि अभी वर्ल्ड कप खत्म नही हुआ है। इंग्लैंड के खिलाफ अगले मैच में भारत ने विरेन्द्र सहवाग (68) और गंभीर (58) की 136 रनों की साझेदारी और युवराज (58) के एक ओवर में 6 छक्कों की मदद से 218 रन बनाये। जबाब में इंग्लैंड की पूरी टीम ने अपना योगदान दिया लेकिन कोई भी खिलाड़ी लंबी पारी खेलकर इंग्लैंड को जीत नही दिला सका। यह मैच भारत ने 18 रनों से जीता। अगले मैच में भारत का सामना था मजबूत साउथ अफ्रीका की टीम से। भारत ने पहले बल्लेबाजी करते हुए रोहित शर्मा (50) और धोनी (45) की मदद से 153 रन बनाए। जबाब में अफ्रीकी टीम आर पी सिंह (4/13) की घातक गेंदबाजी के आगे कुल 116 रन ही बना सका। 37 रन से मैच जीतकर भारत सेमीफाइनल में पहुंच चुका था। सेमीफाइनल में भारत का मुकाबला होना था उस समय की सबसे मजबूत टीम ऑस्ट्रेलिया से। माना जा रहा था कि टीम ऑस्ट्रेलिया के सामने घुटने टेंक देगी लेकिन धोनी की युवा टीम की नजर तो वर्ल्ड कप उठाने पर थी। फिर जो हुआ वो पूरे क्रिकेट जगत ने देखा। भारत ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 188 रन बनाए। मैच में युवराज सिंह ने ऑस्ट्रेलिया के गेंदबाजों की बखिया उधेड़ते हुए 30 गेंदों में 70 रनों की लाजबाब पारी खेली। जबाब में ऑस्ट्रेलिया की टीम ने जीत की तरफ कदम रख दिये थे लेकिन श्री संत के एक स्पेल ने पूरी बाजी ही पलट दी। खतरनाक दिख रहे हेडन (62) को बोल्ड करने से पहले उन्होंने गिलक्रिस्ट को भी बोल्ड किया था। अच्छी शुरुआत के बाबजूद अंत मे ऑस्ट्रेलिया के कदम लड़खड़ा गए और टीम 173 रनों पर सिमटकर 15 रनों से मैच हार गयी। इस तरह भारत ने पहले टी20 वर्ल्ड के फाइनल में जगह बना ली। खिताबी मुकाबला भारत के लिए बिल्कुल भी आसान नही होने वाला था। एक तो वर्ल्ड कप का फाइनल और दूसरा सामने थी पाकिस्तान की टीम। लिहाजा जोहानसबर्ग के वाण्डरर्स मैदान पर दो परंपरागत प्रतिदवंद्वियों के बीच पहले टी-20 विश्व कप का खिताबी मुकाबला था और दुनियाभर के क्रिकेट प्रेमियों की निगाहें भी इस मैच पर थी। इस मैच में भारत ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने का फैसला किया। गौतम गंभीर के शानदार 75 रनों की बदौलत भारत ने पांच विकटे के नुकसान पर 157 रन बनाए। लक्ष्य का पीछा करने उतरी पाकिस्तान की टीम 10 विकेट के नुसकान पर 152 रन ही बना सकी। इस मैच को भारतीय टीम ने पांच रनों से जीत लिया था। हालांकि एक समय ऐसा लग रहा था कि मिस्बाह उल हक की शानदार बल्लेबाजी की बदौलत पाकिस्तान ये मैच जीत लेगा। मिस्बाह उल हक शानदार बल्लेबाजी से पाकिस्तान को जीत के करीब ले आए और टीम को 4 गेंदों में 6 रन चाहिए थे। जोगिंदर सिंह द्वारा ऑफ स्टंप के बाहर डाली गई गेंद को मिस्बाह ने बाहर की तरफ निकलकर फाइन लेग पर जोखिम भरा स्कूप शॉट खेला, लेकिन गेंद हवा में उछली और शॉर्ट फाइन लेग पर श्रीसंत ने आसान कैच लपका। जिसके साथ ही 24 सितंबर का दिन भारतीय क्रिकेट इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज हो गया।। महेंद्रसिंह धौनी के युवा ब्रिगेड ने पाकिस्तान को 5 रनों से हराकर पहले टी-20 विश्व कप पर अधिकार जमाया। आज इस जीत को दस साल हो चुके हैं लेकिन इस मैच की यादें हर क्रिकेट प्रेमी के दिल मे हैं।
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